विदेशों में हजारों करोड़ खर्च कर भी नहीं बन पा रहे योग्य डॉक्टर
Qualified Doctors are not being Produced
Qualified Doctors are not being Produced: दुनिया में डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया गया है क्योंकि डॉक्टर अपनी सेवाओं से किसी भी व्यक्ति की जान बचाने का काम करते हैं । इसीलिए समाज ने इन्हें इतना बड़ा दर्जा दिया है। इसी वजह से अभिभावकों में अपने बच्चों को डॉक्टर बनाने का क्रेज बढ़ता जा रहा है । अपने बच्चों को डॉक्टर बनाने के लिए वे लाखों-करोड़ों रुपए खर्च करते हैं और विदेशों में एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए भेजते हैं। भारत से हर साल 25000 से भी ज्यादा युवा एमबीबीएस करने और डॉक्टर बनने के लिए विदेशों में जाते हैं। खर्च की वर्तमान स्थिति ये है कि विदेश में एक डॉक्टर बनने पर औसतन 60 लख रुपए तक की राशि खर्च होती है यानी औसतन पांच से छः लख रुपए प्रतिवर्ष फीस अदा करनी पड़ती है ।इस प्रकार से 25 हजार छात्रों को डॉक्टर बनने के लिए हमारे देश से 1500 करोड रुपए से भी अधिक की राशि खर्च विदेश में जा रही है । दूसरी ओर इसके परिणाम पर नजर डालें तो विदेशों में एमबीबीएस किए हुए छात्रों भारत में मेडिकल प्रैक्टिस की योग्यता सिद्ध करने के लिए राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान परीक्षा बोर्ड द्वारा विदेशी चिकित्सा स्नातक परीक्षा (FMGE ) आयोजित की जाती है। गत दिसंबर माह में हुई इस परीक्षा में लगभग 45 हजार छात्र बैठे थे । इस परीक्षा में में केवल 29 प्रतिशत यानी 13149 छात्र ही इस परीक्षा को पास कर पाए। वह भी बहुत न्यूनतम प्रतिशत के साथ पास हुए। यही छात्र भारत में मेडिकल प्रैक्टिस करने के डॉक्टर बने हैं। भारतीय युवाओं के विदेश से मेडिकल की पढ़ाई करने के बाद एफएमजीई पास करना अनिवार्य होता है। इस परीक्षा को पास करने के बाद ही वह भारत में एक डॉक्टर के तौर पर प्रैक्टिस कर सकते हैं। एफएमजीई की इस परीक्षा में 31226 अभ्यर्थी परीक्षा पास नहीं कर पाए । परीक्षा पास न करने वाले छात्रों की चिंता बढ़ना भी स्वभाविक हैं। क्योंकि ये छात्र भारत में किसी भी तरह से मेडिकल प्रैक्टिस करने के योग्य नहीं बन पाए हैं । ऐसे में ये छात्र निजी क्षेत्र के अस्पतालों व मेडिकट कौलेजों में अपना भविष्य तलाशते है। अधिकतर छात्रों के अभिभावक डाक्टरी के पेशे से जुड़े हैं औऱ वे अपने निजी अस्पताल संचालित कर रहे हैं। अब देखने वाली बात ये है कि एफएमजीई की परीक्षी पास न करने वाले ये छात्र या तो निजी अस्पतालों में सेवाएं देंगे या फिर अपने अभिभावकों द्वारा पहले से स्थापिक किए गए अस्पतालों का संचालन करेंगे। जब ये अनक्वालिफाइड डॉक्टर रोगियों का इलाज करेंगे तो निश्चित रूप से गलतियां होंगी और रोगियों की जान खतरे में जाएगी।
फिर भी विदेशों में MBBS की पढ़ाई तेजी से भारतीय छात्रों के लिए एक बहुत बड़ा विकल्प बनती जा रही है। जो बच्चे डॉक्टर बनने की आकांक्षा रखते हैं लेकिन वो भारत में मेडिकल कॉलेजों और मेडिकल सीटों के कम होने के कारण विदेशों की ओर रुख करते हैं। विदेशो में भी गुणवत्ता की मेडिकल पढ़ाई न मिलने से यह बच्चे हमारे देश में अधिकृत रूप से प्रैक्टिस नहीं कर पा रहे।
इस समय रूस में 10,000 से ज्यादा, बांग्लादेश में 7,000 से अधिक , गुयाना और बारबाडोस के इलावा अन्य देशों में हजारों की संख्या में भारतीय छात्र एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं। बता दें कि भारत में इस समय 766 मेडिकल कॉलेज हैं, जिनमें 423 सरकारी क्षेत्र के औऱ 343 निजी क्षेत्र के मेडिकल कॉलेज हैं। सरकारी क्षेत्र के कॉलेजों में 55648 और निजी क्षेत्र के कॉलेजों में एमबीबीएस की 50, 685 तथा 30000 पी जी डॉक्टरों की सीटें हैं। इस प्रकार से इन कॉलेजों से लाखों की संख्या में डॉक्टर निकल रहे हैं। इस समय देश में 13, 86, 145 पंजीकृत डॉक्टर है..... हमारे देश में लगभग 1000 की जनसंख्या के पीछे एक डॉक्टर है। यह अनुपात डब्ल्यू एच ओ के मानदंडों के अनुसार खरा उतर रहा है।
आज देश में शिक्षा दूसरी स्ट्रीम के लिए सरकारी व निजी क्षेत्र के महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों की कमी नहीं है लेकिन चिकित्सा के क्षेत्र के महाविद्यालय बहुत ही कम हैं। देश में अगर मेडिकल कॉलेज की संख्या बढ़ाई जाए तो एमबीबीएस की सीटों की संख्या भी बढ़ेगी और इस प्रकार से विदेश में एमबीबीएस करने के लिए जाने वाले छात्रों को यह सुविधा अपने ही देश में मिलने लगेगी । देश का हजारों करोड़ रुपया जो विदेश में जा रहा है और बच्चे योग्य डॉक्टर भी नहीं बन पा रहे हैं। विकसित देशों की तुलना में भारत में मेडिकल सुविधाएं काफी सस्ती हैं। अब भी इन देशों के काफी संख्या में लोग मेडिकल सुविधाओं का लाभ लेने के लिए भारत आते हैं। यदि हमारे देश में मेडिकल की सीट बढ़ाने के साथ-साथ कॉलेजों की संख्या भी बढाई जाएं तो हमारे युवा यहीं पर ही बेहतर डॉक्टर बन पाएंगे जिससे देश भी मेडिकल हब बन पाएगा। जब विदेशों से लोग भारत में इलाज की सुविधा लेने के लिए आएंगे तो निश्चित रूप से देश की आर्थिक व्यवस्था में बेहतरीन इजाफा होगा। इस तरह से देश को पर्याप्त मात्रा में डॉक्टर मिलेंगे, लोगों को स्वास्थ्य बेहतर सुविधाएं मिलेंगी और देश के आर्थिक क्षेत्र को नई उड़ान मिलेगी। इस पर हमारी केंद्र और राज्य सरकारों को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
सतीश मेहरा